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Thursday, September 20, 2018

बस तुम्ही हो...



दर्द में, चैन में, मेरे बस तुम्ही हो,
दिन में रैन में मेरे बस तुम्ही हो.
जिधर देखता हुँ, उधर बस तुम्ही हो.
मंज़िल में, राह में, मेरे बस तुम्ही हो.
भूख है, प्यास है, लेकिन आस है जिसकी मुझे,
वो एक बस तुम्ही हो…
जिसके लिए प्यार के दिये मैंने जलाये हैं,
मेरे लिए उस रौशनी का सबब बस तुम्ही हो…



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