इज़ाज़त-ए- इज़हार September 14, 2018 Unknown 0 comments सोचता हूँ अंदर जितने राज़ है, उनसे सारे परदे उठा दूँ… कहनी उनसे जो बात है, सब कुछ उन्हें बता दूँ.. अगर इज़ाज़त-ए- इज़हार मिल जाये हमें तो, छुपाये दिल में जो ज़ज़्बात है, खोल कर उन्हें दिखा दूँ… Email ThisBlogThis!Share to TwitterShare to Facebook
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