न जाने मुझे तुमसे इतनी,
मोहब्बत सी क्यों हो गयी...
न जाने इस दर्द-ए-दिल से इतनी,
चाहत सी क्यों हो गयी...
जबकि मालूम है मुझे के तुम मेरे नहीं...
न जाने फिर भी मुझे तुम्हारी,
इतनी आदत सी क्यों हो गयी...
मोहब्बत सी क्यों हो गयी...
न जाने इस दर्द-ए-दिल से इतनी,
चाहत सी क्यों हो गयी...
जबकि मालूम है मुझे के तुम मेरे नहीं...
न जाने फिर भी मुझे तुम्हारी,
इतनी आदत सी क्यों हो गयी...
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