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Thursday, September 20, 2018

बस तुम्ही हो...



दर्द में, चैन में, मेरे बस तुम्ही हो,
दिन में रैन में मेरे बस तुम्ही हो.
जिधर देखता हुँ, उधर बस तुम्ही हो.
मंज़िल में, राह में, मेरे बस तुम्ही हो.
भूख है, प्यास है, लेकिन आस है जिसकी मुझे,
वो एक बस तुम्ही हो…
जिसके लिए प्यार के दिये मैंने जलाये हैं,
मेरे लिए उस रौशनी का सबब बस तुम्ही हो…



बेपरवाह...

असर ये तो उसी की सोहबत का है मुझमे...
और अब वह कहतें हैं के हम बेपरवाह हो गए हैं....

Monday, September 17, 2018

आदत

न जाने मुझे तुमसे इतनी,
मोहब्बत सी क्यों हो गयी...
न जाने इस दर्द-ए-दिल से इतनी,
चाहत सी क्यों हो गयी...
जबकि मालूम है मुझे के तुम मेरे नहीं...
न जाने फिर भी मुझे तुम्हारी,
इतनी आदत सी क्यों हो गयी...

Friday, September 14, 2018

इज़ाज़त-ए- इज़हार


सोचता हूँ अंदर जितने राज़ है,
उनसे सारे परदे उठा दूँ
कहनी उनसे जो बात है,
सब कुछ उन्हें बता दूँ..
अगर इज़ाज़त-- इज़हार मिल जाये हमें तो,
छुपाये दिल में जो ज़ज़्बात है,
खोल कर उन्हें दिखा दूँ



Thursday, September 13, 2018

एक तरफ़ा मोहब्बत. . .

दिल की बात कह देना,
इतना भी आसान नहीं है.
शायद वो हमारे हालात से,
इतने अनजान भी नहीं हैं.
एक तरफ़ा ही सही मोहब्बत तो है हमें,
उनसे इकरार- ए- इश्क़ के
मोहताज़ भी नहीं हैं...